IAP Chief Declares DPT Vaccine Cannot Cause Death!

डीपीटी वैक्सीन से बच्चों की मौत बताना गलत : डॉ. सीपी बंसल
भारतीय बाल अकादमी  - डीपीटी से मौत नहीं हो सकती



ग्वालियर। देशभर के बाल रोग विशेषज्ञों की सबसे प्रमुख और मान्य संस्था भारतीय बाल अकादमी ने डिप्थीरिया पर ट्यूसिस एवं टिटेनेस काली खांसी (डीपीटी) के वैक्सीन से अशोक नगर में दो बच्चों की मौत की खबर पर कड़ा एतराज जताया है। भारतीय बाल अकादमी के अनुसार डीपीटी काली खांसी के लिए सबसे 'यादा प्रचलित होलसेल वैक्सीन है और देशभर में आमतौर पर इसका रूटीन इस्तेमाल होता है और आजतक कहीं इस वैक्सीन के खिलाफ कोई रिपोर्ट नहीं है। प्रख्यात बाल रोग विशेषज्ञ और भारतीय बाल अकादमी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सी. पी. बंसल ने कहा कि डीपीटी वैक्सीन के संदर्भ में इस प्रकार की बिना प्रमाणित खबरों से शासन के टीकाकरण प्रयासों को धक्का लगता है। जबकि बच्चों में टीकाकरण उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए अत्यावश्यक है, टीकाकरण प्रयासों को तेज करने और बाल रोगों पर देश में इन दिनों तेजी से शोध और सेमीनारों में शिरकत कर रहे डॉ. सीपी बंसल के अनुसार डीपीटी एक ऐसा टीका है जो काली खांसी जैसे खतरनाक रोगों में सर्वाधिक असरकारक है। वही इसके टीकाकरण के बाद बच्चों में टीके के स्थान पर हल्की सूजन, बुखार, दर्द हो सकता है। वह भी केवल एक हजार बच्चों में से मात्र ४ बच्चों को। लेकिन यह भी मात्र साघारण रिएक्शन है जो दिनभर में स्वयं समाप्त हो जाता है। इसके बाद भी इनमें गंभीर रिएक्शन की कोई शिकायत नहीं आती है यदि आती भी है तो उसका प्रतिशत एक हजार बच्चों में केवल .००७ प्रतिशत है, जो कि बेहद कम है और उसमें मौत जैसी बात कतई नहीं होती।  
          भारतीय बाल आकदमी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सीपी बंसल ने कहा कि जहां तक अशोक नगर में दो बच्चों की मौत की बात  कही गई है उसकी जानकारी के अनुसार उसमें एक बच्चे को तो डीपीटी का टीका लगा ही नहीं था और दूसरे बच्चे को टीका लगने के  बाद १२ से २४ घण्टे बाद परेशानी हुई, जिससे यह स्पष्ट है कि डीपीटी के टीके से कुछ नहीं हुआ। इसमें यहां यह ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस बच्चे का वजन १ वर्ष की उम्र में साढ़े छह किलो था। इससे कहा जा सकता है कि यह बच्चा  कुपोषण या अन्य किसी बीमारी से ग्रसित था। इसलिए बच्चे की मौत डीपीटी के टीके  से बताना गलत है।
     डॉ. बंसल ने कहा कि भारतीय बाल अकादमी देशभर में उसके प्रख्यात बाल रोग विशेषज्ञों के शोध व अनुसंधान से बाल रोगों के निराकरण के लिए लगातार कार्य कर रही हैं। इस संदर्भ में अकादमी की सभी प्रदेश व देशवासियों से अपील है कि सरकार के रचनात्मक टीकाकरण अभियान में सक्रिय सहयोग दें, क्योकि यह एक सराहनीय कार्यक्रम है। वैज्ञानिक शोध व तथ्यों से भी सपष्ट है कि टीकाकरण कार्यक्रम बच्चों के स्वास्थ्य व उनकी दीर्घायु के लिए जरूरी है। डॉ. बंसल ने कहा कि भारतीय बाल अकादमी के अनुसार अशोक नगर में दो बच्चों की मौत डीपीटी के टीके से बताया जाना गलत है, बल्कि टीकाकरण बाल रोगों पर सर्वाधिक प्रभावी उपाय है।